पुरस्कार उनको मिले, जो है उस के पात्र।।
दुनिया में सबसे बड़ा, होता है व्यवहार ।
बच्चों तुम करना नहीं, आपस में तकरार ।।
खेल यहां पर हैं सदा ,जीवन का आधार ।
बच्चों के संग आज तो, दौड़ रहा संसार।।
जब भी खेलो खेल तुम, इतना रखना ध्यान।
प्रतिभागी जितने यहाँ , सबका रखना मान ।।
इधर उधर है दौड़ते, बाल और गोपाल।
खेलकूद में चल रहे, मिला मिला कर ताल।।
होती है दो तरह की, उची लंबी जंप ।
करतब ऐसे देख कर, मन हो जाता कम्प।।
बच्चों जल्दी मत करो, लग जाएगी चोट।
इलाज में लग जायगें , मात- पिता के नोट ।।
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Friday, 5 October 2018
दोहे " खेल सबौरा में हुए" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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