माता के दोहे
माता के नव रूप का ,राधा करे बखान ।
माता हमको दीजिए , रिद्धि सिद्धि का दान।।
मां की सेवा में रहे ,हम सब ही तल्लीन ।
कृपा अगर हो मातु की, रहे न कोई दीन।।
शैल सुता हे मात तुम, मुझको दो वरदान ।
मन से मैं करती रहूं ,माता का गुणगान ।।
माता सारे जगत को, देती सुख भरपूर।
सब की झोली को भरे, दुख कर देती दूर।।
राधे तुमको बुला रही, आओ मेरे द्वार ।
दया करो जगदंबिके, रखो
सुखी परिवार ।।
होती है आखीर में सच्चाई की जीत।
धर्म सिखाता है यही, हो आपस में प्रीत।।
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Tuesday, 23 October 2018
दोहे "माता के दोहे"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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