Sunday 21 October 2018

दोहे "जीवन मृत्यु हाथ में,तेरे है भगवान "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


जीवन मृत्यु हाथ में,तेरे है भगवान 
जीवन में करना नहींकोई ओछा काम 
अच्छे कामो को करोहो जाएगा नाम।।

 मेरी बाधाएं हरोहे मेरे नंदलाल।
 तुम हो जग के सांवरेराधा के गोपाल ।।

माता कहलाती सदाबच्चों की आचार्य।
 बच्चों के हित के लिए ,करती सारे कार्य।।

 इस जग में करना सभीआपस में तो प्यार 
दुश्मन छोटा या बड़ा ,होता है खूंखार।।

 जीवन मृत्यु हाथ में,तेरे है भगवान 
सुख से यह जीवन कटेहै मेरा अरमान।।

 कीट पतंगों को कभीकरना मत हलकान 
उनको भी तो धरा का ,एक जीव तू जान ।।

जाने वाले को नहींहोती कोई चाह।
गिरते पत्तों को सभीदे देते हैं राह।।

 गिर जाते हैं पेड़ वोजो होते हैं सख्त।


 प्रजातंत्र में प्रजा ही ,ले लेती है तख्त।।

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