आओगे जब पास में, पूछेंगे तब हाल।
सजनी साजन के
बिना, होती है कंगाल।।
जीवन में लेना नहीं, कभी किसी की हाय।
पर अच्छे इंसान की, लेना हरदम राय।।
सत्य कभी मिटता नहीं, मिट जाता है झूठ।
छाता जब भी टूटता, रहे हाथ में मूठ।।
पहले जैसे हैं नहीं, अब भारत के गाँव ।
नहीं दिखाई दे रही, पीपल-वट की छाँव।।
अन्न बिना होता नहीं, जग में कोई काम।
लेकिन आज किसान को, नहीं मिल रहा दाम।।
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