Tuesday, 2 October 2018
बाल कविता" चश्मा"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
बाल कविता
चश्मा
आंखों की जोत बढ़ाता है
साफ सदा दिखलाता है
दूर दृष्टि और निकट दृष्टि के
दोष को दूर भगाता है
कान के ऊपर बैठा रहता
नीचे नहीं गिर पाता है
आंखों को जो ढक कर रखता
वह चश्मा कहलाता है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment