Wednesday, 10 October 2018

दोहे "विदा हुए हैं पितृगण" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


विदा हुए हैं पितृगण

 पर्वों पर  देते सभीअपनों को उपहार।
 हमें जगाने के लिएआते हैं त्योहार ।।

श्रद्धा के ही साथ मेंउन्हें लगाना भोग 
अंतरिक्ष में जो गएअमर हुए वो लोग ।।

रखना सबको पितृ गणसुखी और संपन्न।
 जो पुरखों को पूजतेहोते नहीं विपन्न।।

 विदा हुए हैं पितृगणजाते अपने धाम।
 एक साल तक स्वर्ग मेंकरना तुम आराम।।

 अपने पुरखो को सभीलगा रहे हैं भोग।
 एक साल के बाद मेंआता ये संयोग।।

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