Saturday, 20 October 2018

दोहे " सुरा कभी अच्छी नहीं"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


निर्धन के आवास पर ,आया एक नवाब 
बोला हमको चाहिएमुर्गा और शराब ।।

अश्रु कण ले नैन मेंबोली बूढ़ी मात।
आज हमारे देश मेंदुख का हुआ प्रपात।।

तरस रहा है अन्न कोकई दिनों से गांव 
कब होगी इस गांव में , सुख की शीतल छाँव ।।

हैवानों का भोग क्यों ,मांग रहे हो आप 
इससे तो लग जाएगा ,हम सब को भी पाप ।।

सुरा कभी अच्छी नहीं ,करती तन बर्बाद 

इसको पीने से कभी ,हुआ ना घर आबाद।।

No comments:

Post a Comment