दीपों की ज्योति
देव दिवाली नाम से ,है यह पर्व महान।
गंगा तट पर हो रहे, लाखों दीपक दान।।
दीपों की ज्योति सदा, यूं ही जलती जाए।
काम क्रोध अब ना रहे, मन निर्मलता पाए।।
नदी किनारे कर रहे ,सब जल में स्नान।
देव पूजकरके करो, इष्ट देव का ध्यान ।।
कार्तिक की है पूर्णिमा, पावन है दिन वार।
दीप जलाकर प्यार से, मना रहे त्यौहार।।
मंत्रोच्चारण को करें, कर लो पूजा जाप।
कार्तिक की है पूर्णिमा, तीरथ जाओ आप ।।
मन को निर्मल कीजिए, गंगा में कर स्नान।
शुद्ध हृदय में ही बसे, दयानिधि भगवान ।।
लोभ मोह के पाश में, नहीं बधेंगे राम ।
मन माया को छोड़ दे, बन जाएंगे काम ।।
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Monday, 22 July 2019
दोहे, " दीपों की ज्योति " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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