Tuesday 30 July 2019

दोहे , " तबला ढोलक " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


 तबला ढोलक
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तबला ढोलक दे रहे, गायन को सुर ताल।
गीतों से बतला रहे, मौसम का सब हाल।।
गाने के होते सदा, सबके अपने ढंग।
नारी बिन होते नहीं, पूरे कोई काज।
अपनी ढपली ला रहे, सब अपने ही संग।।
नारी से ही तो यहाँ, बनता सकल समाज।।
ग़ज़ल लिखे वो जानते, सदा ही इसका मूल।
बातचीत इसमें करें ,यह तू कभी न भूल ।।
पर माता के लिए वो, होते हैं वरदान।।
छोटे बच्चे तो सदा ,होते हैं नादान।

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-07-2019) को "राह में चलते-चलते"
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर।

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