Monday, 22 July 2019

दोहे , " बच्चो की महिमा " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


बच्चों की महिमा 
 रिश्तो से करना यहाँ ,कभी नहीं खिलवाड़।
 मात-पिता करते सदा, बच्चों को
 ही लाड़।।

 रखना मन में प्रेम को, जिसमें है विज्ञान।
 प्रेम से जग अपना बने, इतना लेना जान।।

 सदा निभाओ प्रेमको, जग की है ये रीत।
 जीवन में करते रहो, सब जीवों से प्रीत।।

बच्चों की महिमा सदा ,होती अपरंपार।
 बनता इन से सभी काप्यारा सा संसार ।।
बचपन से जो दे रहेमातपिता का प्यार 
अभिभावक होते यहाँ , जीवन का आधार।।
 बच्चों बिन सूना लगेसबका ही परिवार 
बच्चों से करना सदाहंसी खुशी व्यवहार।।:

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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