सब कुछ सिखाना
कम पड़ रही है तनख्वाह महंगा जमाना है
बच्चों को पालने को अब ज्यादा कमाना है
बच्चों का ब्याह करके जो खुश है हो रहे
बेटे बहू को पहले सब कुछ सिखाना है
जीते थे शान से जो हुकूमत सभी पे करके
बच्चों के मन का करके अब जीवन बिताना है
दौलत अभी तक तात की ही वो लुटा रहे
अपने बल पर जीकर अब उन्हें दिखाना है
झोपड़ी में मिलकर रहते थे शान से
महलों में राधे उनका अब तो ठिकाना है
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11.7.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3393 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सार्थक सटीक।।
ReplyDelete