सूखी खेती देखकर ,कृषक हुआ गमगीन।।
वन में दिखते हर जगह, कितने ही सारंग।
कोई चढ़ता पेड़ पर ,कोई करे हुड़दंग ।।
चारदीवारी को कभी ,मत समझो तुम धाम।
परिवार जिसमें रहे, उसका घर है नाम ।।
कितनी हो मजबूरियां, रहना हरदम साथ।
मिलकर के तुम प्यार से ,सदा बटाना हाथ।।
समस्याओं को देखकर, मत होना हलकान।
सहन करो हंसकर सभी, जीवन के व्यवधान।।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-07-2019) को "गर्म चाय का प्याला आया" (चर्चा अंक- 3412) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर दोहे
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