बातें
जनता बेचारी लूटी जा रही है
महंगाई से अब ठगी जा रही है
बढ़ते दिखे दाम जग में सभी के
जीने को सब वो सही जा रही है
भरा है अहम क्रोध सबके दिलों में
बिना बात दुनिया बकी जा रही है
पहले की बातें तो गुम हो गई है
गुरु शिष्य दूरी बढ़ी जा रही है
राधे गुरु को समझाए कैसे
बातें वो अपनी रखी जा रही है
विडंबना..... !
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