बिना ही साज सज्जा के दिलों से हम सँवरते हैं।।
करोगे याद हमको जब कभी तन्हाई में हमदम।
वो कैसे साथ हो जाए जो हर दम ही बिखरते हैं।।
करेंगे याद तब तुमको कभी जब पास से गुजरो।
तुम्हारी याद आती है गली से जब गुजरते हैं ।।
सुना जब लोग आकर पास में फिर दूर जाते हैं ।
वही टूटे हुए दिल के सभी घावों को भरते हैं।।
हमेशा सोचती राधा चाहूंगी तुम्हें हर पल।
तुम्हारी याद से राधे के तो हर पल में निखरते हैं।।
|
Showing posts with label गजल. Show all posts
Showing posts with label गजल. Show all posts
Thursday, 31 October 2019
गजल, तुम्हारी याद के किस्से " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Saturday, 26 October 2019
गजल, "जगमग करते दीपों" (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
जगमग करते दीप
![]()
जगमग करते दीपों से हम अपना भवन सजाएंगे ।
चीनी लड़ियां छोड़ वहाँ
माटी के दीए जलाएंगे।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के होते हैं पर्व बहुत।
होली ईद और दीवाली मिलकर साथ मनाएंगे।।
गांव शहर में दिखलाते हैं कलाकार कितने करतब।
सर्कस ,मेला और नुमाइश जगह-जगह लगवाएंगे।।
गंगा यमुना सरयू का तट लगता कितना मनभावन।
मात- पिता को ले जाकर हम तीरथ यहाँ
कराएंगे।।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों की भारत में भरमार है।
रामराज्य लाकर के राधे पावन इसे बनाएंगे।।
|
Thursday, 25 July 2019
Monday, 22 July 2019
गजल, " माँ " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
माँ जल रहा है तन बदन लग रही ज्यों आग है
रोशनी से है भरा घर का हर इक भाग है
ऐ रवि आकर के देखो रात में भी तुम कभी
चांद पर भी लोग कहते हैं कि काला दाग है
रिश्ते नातों को संभालो टूटते ही जा रहे
डस रहे हैं अब सभी को संबंध के ही नाग हैं
घोर कलयुग में कहाँ पर हंस चुगते मोतियां
कोयल के भी घोंसले में दिख रहे अब काग है
अन्न जल और फूल फल से ये धरा आबाद है
खा रहे हैं जानवर अब घास के संग साथग हैं
माँ से सुनकर लोरियाँ सब यहाँ बढ़ते रहे
भूलते अब बालपन के राग और अनुराग हैं
कह रही राधे की जीवन है बहुत ही कीमती
गांठ से जो जुड़ ना पाए यह वही तो ताग है
|
Friday, 12 July 2019
गजल, " तुम्हीं किताब हो " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
तुम्हीं किताब हो
मेरे ग़ज़ल व गीत में तुम ही गुलाब हो रातों का चांद दिन का तुम्हीं आफताब हो
पढ़ती हूँ रात दिन यूँ ही पन्ने उलट पलट
लगता है मेरी जिंदगी कि तुम्हीं किताब हो
पूछे हैं सब से अब तलक कितने सवाल हैं
उन सब का मुझको लग रहा तुम्ही जवाब हो
शब्दों में ढूंढती हूँ तुम्हें मैं तो रात दिन
रहता है दिल के पास वो तुम्हीं जनाब हो
नैनो को करके बंद मैं तो सोचती रहूँ
आते हैं जो सभी को वो तुम्हीं ख्वाब हो
|
Monday, 8 July 2019
गजल, " प्रियतम तुम्हारा प्यार " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
Subscribe to:
Posts (Atom)