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Thursday, 31 October 2019

गजल, तुम्हारी याद के किस्से " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



तुम्हारी याद के किस्से
तुम्हारी याद के किस्से ज़हन में जब उभरते हैं 
बिना ही साज सज्जा के दिलों से हम सँवरते हैं।।

 करोगे याद हमको जब कभी तन्हाई में हमदम।
वो कैसे साथ हो जाए जो हर दम ही बिखरते हैं।।

 करेंगे याद तब तुमको  कभी जब पास से गुजरो।
 तुम्हारी याद आती है गली से जब गुजरते हैं ।।

सुना जब लोग आकर पास में फिर दूर जाते हैं 
वही टूटे हुए दिल के सभी घावों को भरते हैं।।

 हमेशा सोचती राधा  चाहूंगी तुम्हें हर पल।
 तुम्हारी याद से राधे के तो हर पल में निखरते हैं।।

Saturday, 26 October 2019

गजल, "जगमग करते दीपों" (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


जगमग करते दीप
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जगमग करते दीपों से हम अपना भवन सजाएंगे
चीनी लड़ियां छोड़ वहाँ  माटी के दीए जलाएंगे।।

 हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के होते हैं पर्व बहुत।
 होली ईद और दीवाली मिलकर साथ मनाएंगे।।

 गांव शहर में दिखलाते हैं कलाकार कितने करतब।
 सर्कस ,मेला और नुमाइश जगह-जगह लगवाएंगे।।

 गंगा यमुना सरयू का तट लगता कितना मनभावन।
 मात- पिता को ले जाकर हम तीरथ यहाँ  कराएंगे।।

 मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों की भारत में भरमार है।

 रामराज्य लाकर के राधे पावन इसे बनाएंगे।।

Thursday, 25 July 2019

गजल, " बातें " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


बातें
 जनता बेचारी लूटी जा रही है
 महंगाई से अब ठगी जा रही है

 बढ़ते दिखे दाम जग में सभी के
 जीने को सब वो सही जा रही है

 भरा है अहम क्रोध सबके दिलों में 
बिना बात दुनिया बकी जा रही है

पहले की बातें तो गुम हो गई है
 गुरु शिष्य दूरी बढ़ी जा रही है

राधे गुरु को समझाए कैसे
बातें वो अपनी रखी जा रही है

Monday, 22 July 2019

गजल, " माँ " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )







माँ
 जल रहा है तन बदन लग रही ज्यों आग है
 रोशनी से है भरा घर का हर इक भाग है

 ऐ रवि आकर के देखो रात में भी तुम कभी
 चांद पर भी लोग कहते हैं कि काला दाग है

 रिश्ते नातों को संभालो टूटते ही जा रहे
 डस रहे हैं अब सभी को संबंध के ही नाग हैं 

घोर कलयुग में कहाँ पर हंस चुगते मोतियां
 कोयल के भी घोंसले में दिख रहे अब काग है

 अन्न जल और फूल फल से ये धरा आबाद है
 खा रहे हैं जानवर अब घास के संग साथग हैं

 माँ से सुनकर लोरियाँ सब यहाँ बढ़ते रहे
 भूलते अब बालपन के राग और अनुराग हैं 

कह रही राधे की जीवन है बहुत ही कीमती
 गांठ से जो जुड़ ना पाए यह वही तो ताग है


 

Friday, 12 July 2019

गजल, " तुम्हीं किताब हो " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


तुम्हीं किताब हो
मेरे ग़ज़ल व गीत में तुम ही गुलाब हो
 रातों का चांद दिन का तुम्हीं आफताब हो

 पढ़ती हूँ रात दिन यूँ ही पन्ने उलट पलट
 लगता है मेरी जिंदगी कि तुम्हीं किताब हो

 पूछे हैं सब से अब तलक कितने सवाल हैं
 उन सब का मुझको लग रहा तुम्ही जवाब हो

 शब्दों में ढूंढती हूँ तुम्हें मैं तो रात दिन 
रहता है दिल के पास वो तुम्हीं जनाब हो 

नैनो को करके बंद मैं तो सोचती रहूँ
 आते हैं जो सभी को वो तुम्हीं ख्वाब हो

Monday, 8 July 2019

गजल, " प्रियतम तुम्हारा प्यार " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )



 प्रियतम तुम्हारा प्यार


आज फिर से आ गया वो शुभ घड़ी दिन बार है
और बढ़ता जा रहा प्रियतम तुम्हारा प्यार है

हाथ थामें चल रहे हो साथ मेरे हर घड़ी
साथ तेरा इस जन्म में जीने का आधार है

 दो थे हम फिर से बने आपस में हम तुम एक हैं
बाल बच्चों से ही तो बनता सदा परिवार है

शीश रखदूँ चरण में प्रियतम तुम्हीं ही तो ईश हो
साथ तो तेरा सदा ही स्वर्ग का ही द्वार है

आपसी बंधन हमारा और बाँधेगा हमें
सौ जन्म तक साथ हो राधा करे मनुहार है