धूप
दूर तक माटी की खुशबू , आ रही हैं धूप में l
काम करते खेत में, कैसे ये निर्बल धूप में ll
बूँद है ये श्वेद की , या रंग मेहनत का भरा l
काम करता वो ही जाने , कैसे होता धूप में ll
आंधीयों ने अब उजाड़ा, है ये किसका घोसला l
अब कहाँ ले जाएगा , बच्चे परिंदा धूप में ll
मेहनती होते हैं जो ,नही देखते हैं रात दिन l
काम वो करते सदा ,आंधी , सर्दी , धूप में ll
जेठ का ये माह है , सूरज चटक है शीश पर l
राधे निकल कैसे पड़ें , इस तन जलती धुप में ll
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