राधे श्याम
अगर तू श्याम बन जाए
तेरी राधा बनूंगी मैं
अगर तू राम बन जाए
तो सीता सी सजुंगी मैं
तेरी पलकों
के साए में
मुझे रहने
दे पल पल
पल
तेरी बेचैन रातों में
हँसी निंदिया बनूंगी
मैं
मुझे अनजान
से दिखते
हैं ये गलियां ये चौबारे
कदम के
पेड़ के नीचे
तुझे अपना
कहूंगी मैं
कहीं जीवन
कहीं मृत्यु
कहीं मिलना बिछड़ना है
कहीं पर
तू जो मिल
जाए
तुझे दुख सुख कहूंगी मैं
कहीं खुशियों
के सागर है
कहीं नदिया दिखे गम की
मगर जो खुद नहीं बदले
वही रिश्ता बनूंगी मैं
अगर तू श्याम बन जाए
तेरी राधा बनूंगी मैं
अगर तू राम बन जाए
तो सीता
सी सजुंगी मैं
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