मेरी जब चांद सी मुनिया, मेरे आंगन ठुमकती है ।
तेरी अठखेलियों से ही ,मेरी गोदी दमकती है ।।
कभी बिंदिया मेरी ले कर ,स्वयं को तू लगाती है ।
रोशन हो तेरी सूरत ,सितारों से चमकती है ।।
कभी बनकर परी नन्ही, तू ख्वाबों को सजाती है।
कभी मेरी छवि बन कर, तू मुझ में ही संवरती है ।।
कभी जब डांटकर तुझको, मैं खुद से दूर करती हूँ।
तू माँ माँ कहकर के ,तब मुझ से लिपटती है।।
तेरी अटखेलियां हरदम ,ही राधे को लुभाती है।
तेरी सूरत सदा स्वाति ,मेरे दिल में धड़कती है।।
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Sunday 20 May 2018
चांद सी मुनिया (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")
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