Tuesday 15 May 2018

"मिटठू" राधा तिवारी ' राधेगोपाल '

मिट्ठू

Image result for मिट्ठू
इक प्यारा सा तोता, देखा आज बगीचे में।
मिट्ठू-मिट्ठू बोल रहा था, तोता खूब दलीचे में।l

उड़ा तभी वह हरियल तोता, गया सहेली लाने।
और साथ में हरी मिर्च भी, लाया सँग में खाने।।

बैठ गये दोनों फिर मिलकर, करते बातें मतवाली।
पंजों से कसकर दोनों ने, पकड़ी शाखा हरियाली।।

खाने लगे चाव से दोनों, हरी मिर्च वो मोटी।
एक ने उसकी पूँछ पकड़ ली, और दूसरे ने चोटी।।

मिर्ची के दानों को खातेमिट्ठू-मिट्ठू कहते।
दुनिया उनको नहीं सुहाती , खुद अपने में गुम रहते ।।

हरा भरा था पेड़ बाग में , हरे-हरे थे उनके पर।
हरी मिर्च खा-खाकर, उड़ते थे दोनों नभ में फर-फर।।

राधे के मन को भाती है,मिट्ठू की बोली प्यारी
तोते के आते ही हो जाती, रौशन बगिया सारी।।

No comments:

Post a Comment