Friday, 25 May 2018

दिलवर (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )



 दिलवर



जरूरी तो नहीं इतना किसी से दिल लगा बैठो।
लगाया है जो दिल उनसे, भरोसे पर खरा बैठो।।

गलत कहना उन्हें मत तुम, कोई भी दोष मत देना।
बनो तुम अपसरा जैसी, दिलों में शान से बैठो।।

 लड़ाई मत करो उनसे, सहारा बन के दिखलाओ।
उन्हीं के प्यार में अपने, सभी गम तुम भुला बैठो।।

कमाया है अगर उसने, तो घर में काम आयेगा।
मगर इकरार करके यूँ, नहीं इनकार कर बैठो।।

तुम्हारी इस कमाई पर ,सदा अधिकार मेरा है 
सजा देने की तो दिल में, कभी मत ठानना दिलवर।
यह अच्छा है नहीं प्रियवर कि राधे को भुला बैठो।।




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