लगाया है जो दिल उनसे, भरोसे पर खरा बैठो।।
गलत कहना उन्हे मत तुम, कोई भी दोष मत देना।
बनो तुम अपसरा जैसी, दिलों में शान से बैठो।।
लड़ाई मत करो उनसे, सहारा बन के दिखलाओ।
उन्हीं के प्यार में अपने, सभी गम तुम भुला बैठो।।
मगर इकरार करके यूँ, नहीं इनकार कर बैठो।।
सजा देने की तो दिल में, कभी मत ठानना दिलवर।
यह अच्छा है नहीं प्रियवर कि राधे को भुला बैठो।।
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