Thursday, 19 March 2020

मनहरण घनाक्षरी ," राधा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

 राधा
राधा आज मुसकाई
सखियों के साथ आई
कान्हा जी की मुरली को
आज तो छिपाएंगे

आज हम छिप कर
कृष्ण से लिपटकर 
दही नवनीत से ही 
उनको भिगाएंगे 

होली का त्योहार आज 
रख दूर सब काज  
मिलकर हम सब 
कृष्ण को सताएंगे 

मोहन है चित चोर 
बांधकर प्रीत डोर 
आज हमें छलिया को 
छलते ही जाएंगे 

ये रूठने मनाने का 
ये पनघट आने का
हमको सताने का तो
पाठ भी पढ़ाएंगे

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