देख रंगदी लाल चुनरिया,
बिगरे सिगरे अंग
देखे सबको नैन नचाए,
रही गोपीयाँ दंग
भई राधिका गोरी फिर भी,
मोहन भये भुजंग
भर पिचकारी मोहन मारी,
राधा जी पर रंग
भिगा रहे हैं उसकी चोली,
करते उसको तंग
बजा रहे ढोली मिलकर के,
ढोलक और मृदंग
मोहन की तो बंसी बाजे,
बजे साथ में चंग |
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