Wednesday, 25 March 2020
कुण्डलियाँ , " कुंडलीयाँ " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),
कुमकुम
कुमकुम भर के माँग में, नार करे श्रृंगार ।
फेरे लेकर सात वो, आती पिय के द्वार।
आती पिय के द्वार, विदाई करती माता।
वर जी आए द्वार, बदलता भाई छाता।।
कह राधे गोपाल, पिता जी क्यों है गुमसुम।
नारी का श्रृंगार, सदा से ही है कुमकुम।
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