Saturday, 28 March 2020

कुण्डलियाँ ," चूड़ी " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

चूड़ी 

चूड़ी खनकी हाथ में, पायल छनके पाँव।
इठलाती अब आ रही, सजनी अपने गाँव।।
सजनी अपने गाँव,  मिलेगी सखियाँ सारी।
 हरियाली चहुँ ओर, यहाँ पर है मनुहारी।
कह राधेगोपाल, सभी खाते हैं पूड़ी।
नारी के तो हाथ, सजी है हरदम चूड़ी।

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