विषय सरस्वती वंदना
विधा चौपाई छंद
आज बसंत दिवस है आया
बाग फूल बूटा इतराया
तितली ने भी पँख फैलाए
काले भँवरे भी उड़ आए
सूरज जब नभ में आएंगे
धरा पे किरणें बिखराएंगे
होगी चारों ओर खुशाली
फूल तोड़ने आए माली
सरस्वती की करो वंदना
महकेगा सबका घर अँगना
माता जी का ध्यान करेंगे।
उनके दुखड़े सदा हरेंगे
तुम स्वर की देवी कहलाती
बजा के वीणा हमें सुनाती
ज्ञान जिसे भी है मिल जाता
वह फिर कभी नहीं गिर पाता
धन्य धन्य हो मातु शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे
राधे जपती नाम तुम्हारा
तुम दे देना सदा सहारा
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Thursday, 12 March 2020
चौपाई छंद, "सरस्वती वंदना" (राधा तिवारी ,राधेगोपाल )
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