Sunday, 1 March 2020

कुण्डलियाँ ,सड़कों का हाल (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")



सड़कों का हाल
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 बदतर अब होने लगा, है सड़कों का हाल।
 पैदल जो भी चल रहे, वो होते बेहाल।।
 वो होते बेहाल, सड़क ढूँढे फिरते हैं।
 गड्ढों में है पैर, तभी तो वह गिरते हैं।
 कह राधे गोपाल, रहोगे कब तक घर पर।
 सड़कों का अब हाल, हुआ है बद से बदतर।

 गाड़ी का टायर कहे, हम होते बेहाल।
 देख अचंभित हो रहे, हैं सड़कों का हाल।।
 है सड़कों का हाल, दुखी है जनता सारी।
 सड़क बने हैं ताल, ये कैसी है लाचारी।
 कह राधे गोपाल, कह रहा है ये शायर।
 पक्चर होता जाय, सदा गाड़ी का टायर।।

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