बच्चों की परवाह
टपक रहे हैं आँख से, आँसू बनकर धार।
जीवन के जंजाल से, कैसे होंगे पार।।
जीवन भर तो की सदा, बच्चों की परवाह।
मात-पिता के ह्रदय में, बढ़ती जाती चाह।।
प्यासा कुएं से कहे, बहुत लगी है प्यास।
पानी की हर बूंद की, होती सबको आस।।
छोटी-छोटी बात को, कभी ना देना तूल।
अच्छाई को याद रख, बुरा सदा तू भूल।।
झूठ कपट का चल रहा, सारे जग में दौर।
सच्चाई को मिल रही, नहीं कहीं पर ठौर।।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.5.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3351 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद