शेर की मान्द
शेर की मान्द में घुस कर, गीदड़ कभी नहीं बच पाएगा।
षड्यंत्र शिकार को करने का, कभी नहीं रच
पाएगा।।
आया जिसका काल वही तो निकट शेर के जाता है।
हल्ला गुल्ला नहीं शेर के आगे वो कर पाता है।।
मरने का नाटक भी शेर के आगे ना रच पाएगा।
षड्यंत्र शिकार को करने का, कभी नहीं रच पाएगा।।
गीदड़ सदा ही
जंगल में तो, खौफ शेर का रखता है ।
देख सिंह के पदचिन्हों
को, वो डर से थर्राता है।।
सुनो स्वान और गीदड़ कभी भी, राजा नहीं जच पाएगा।
षड्यंत्र शिकार का करने का, कभी नहीं रच पाएगा।।
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Thursday, 9 May 2019
गीत, "शेर की मान्द" (राधा तिवारी " राधेगोपाल )
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