दोहा
लिखना आता है नहीं,दोहा जिन्हें जनाब। चरणों को कैसे लिखें, दे दो जरा जवाब।।
पहले गिन कर देख लो, मात्राओं को आप।
शब्दों का होगा तभी, तालमेल से माप।।
गिनती गर होगी गलत, बिगड़ जाएगी ताल।
अगर सही से गिन लिया, दोहा बने कमाल।।
चार चरण में लिख लिया, करके सोच विचार।
पूरी अपनी बात का, भर कर इसमें सार।।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-05-2019) को "आसन है अनमोल" (चर्चा अंक- 3335) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'