Thursday, 30 May 2019

गीत, "बादल आ जाओ" (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


बादल आ जाओ
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रोप दिए हैं धान बादल आ जाओ 
है दुखी यहाँ इंसान बादल आ जाओ 

लू चलती है जेठ माह में ,तपिस सूर्य की झुलसाती 
जल बिन मीन नही दरिया में इधर उधर को जा पटी 
बढे डरा कि शान बादल आ जाओ 

जेठ दोपहरिया तन जला रही हैं , अन्दर सबको भगा रही है 
धनिक सो रहे हैं ऐ सी में ,निर्धन को वो जगा रही है 
दूर करो व्यवधान बादल आ जाओ 

गरम थपेड़ों को संग ले कर ,धुल भरी आंधी आती है 
देखर तपिस ये प्यासी धरती , हर इंसा को अकुलाती है 
अब कहना सबका मान  बादल आ जाओ 

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