Monday, 13 May 2019

गीत, " गुणों की खान है नारी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 "   गुणों की खान है नारी  " 
 गुणों की खान है नारी
 जग का अभिमान है नारी
 कभी अपमान मत करना
 हर घर की शान है नारी 
कभी देवी कभी दुर्गा 
कभी लक्ष्मी ये बनती है
 कभी अस्मत बचाने को
 ये काली रूप धरती है
बिना इसके यहाँ  पर नर
 कभी कुछ कर नहीं सकता
नए नित रूप धर के 
दुख सभी के हर नहीं सकता
 तेरे हर एक पद चिन्ह की
 यहाँ  पहचान है नारी
 गुणों की खान है नारी
जग का अभिमान है नारी

 तू ही झांसी की रानी है
 तू ही सीता सरूपा है 
कभी ममता की मूरत है
 कभी लगती अनूपा है
 देकर जन्म तू खुद से
 धरा पर ला रही सबको
 तेरे हर रूप में नारी
 मैं तो देखती रब को
चरण रज माथ पे रखदूं
तू वरदान है नारी
गुणों की खान है नारी
 जग का अभिमान है नारी

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-05-2019) को "लुटा हुआ ये शहर है" (चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह बहुत सुंदर

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना

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