इंसाफ
आईने को साफ करके देख लिया
हमने सबको माफ करके देख लिया
मानते अब बात कोई भी नहीं है
मिन्नतों को हमने करके देख लिया
दूध में सागर उड़ेला है उन्होंने
हमने तो इंसाफ कर के देख लिया
सब बुढ़ापे में
रहते है अकेले ही
दुनिया से भी आस करके देख लिया
दिल नहीं लगता कहीं भी इस जहां में
रास मोहन सा करके देख लिया
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-05-2019) को
"माँ कवच की तरह " (चर्चा अंक-3326) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
बहुत खूब
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