पेड़ लगाओ
सूरज जब नभ में आता है तन सबका ही झुलसाता है घर के अन्दर जाते लोग ताकि वो सब रहे निरोग ढूंढ रहे पेड़ों कि छाया पर अब पेड़ कहीं न पाया समय समय पर पेड़ लगाओ ताप धरा का दूर भगाओ ककड़ी तरबूजा तुम खाओ इससे शीतलता तुम पाओ जो नीम्बू का पीते जूस गर्मी से रहते महफूज़ हर प्राणी एक पेड़ लगाओ धरती पर हरियाली लाओ |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-05-2019) को "देश और देशभक्ति" (चर्चा अंक- 3342) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'