कंगन
कंगन सोने के बने, चाँदी की पाजेब। पहनो गोरी ये सभी, जाओ पिय के देश।। जाओ पिय के देश, बसाओ अपने घर को। जा बेटी ससुराल, वरण करलो तुम वरको। कह राधे गोपाल, बिखेरे खुशबू चंदन। लाओ तुम गलहार, सजन हाथों के कंगन।।
No comments:
Post a Comment