कुदरत का उपहार
गाँव घरों को आ रहे, हैं
विदेश से लोग।
फिर क्यों अपने देश में ,रहे
विदेशी रोग।।
व्यर्थ नष्ट मत कीजिए, पानी
है अनमोल।
इससे ही तो जगत में, है
स्वाँसों का मोल।।
जल ही जीवन है यहाँ, रखना
इतना ध्यान।
जल की तो हर बूँद को, दे
देना सम्मान।।
सूख गई नदियाँ सभी, सूख
गए हैं ताल ।
अब जल संचय कीजिए, रहने
को खुशहाल।।
जल का संचय कीजिए,जानो
जल का मोल।
जल को जीवन से मनुज,हरदम
लेना तोल।।
जल को तो तुम जानिए, कुदरत
का उपहार।
सपना जीवन का यहाँ, इसके
बिन बेकार।।
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Sunday, 3 May 2020
दोहे , कुदरत का उपहार" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
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