Monday, 11 May 2020

दोहे*" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),



*चाँदनी, सूरज, इंतजार ,फुल, पत्थर*
विधा *दोहे*

इंतजार करने लगी, राधा किसका आज।
 रात चाँदनी आ गई, अब तो आओ बाज।।

पत्थर दिल इंसान तो, क्या समझेगा प्रीत।
प्रेम प्रीत से ही सदा जीवन को तू जीत।।

उपवन में मेरे खिले, रंग-बिरंगे फूल।
मैंने प्रिय की राह से, हटा दिए सब शूल ।।

बेमौसम बरसात से,होना  मत हलकान ।
सूरज से होती सदा, सबकी ही पहचान।।

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