Monday, 18 May 2020

घनाक्षरी छंद , परिवार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

 परिवार

सबके ही माता-पिता
होते हैं जीवन दाता
उनके तो हरदम
साथ में ही रहिए

माता को तो ईश जान
देती हैं सभी को ज्ञान
उनके ही साथ सब
दुख सुख सहिए

धरा तो है माँ समान
पिता तो हैं आसमान
ज़िन्दगी में उनसे तो
प्यार से ही कहिए

चलती जीवन गाड़ी
समतल या पहाड़ी
पिताजी इंजन बने
बच्चे तो है पहिए


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