Friday, 29 May 2020

गीत , " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

गीत

जिस रोग का जग में पार नहीं, जो रोग सभी पर भारी है। 
मुँह ढक कर के सब निकले हैं,अब कैसी यह लाचारी है। 

बंद हो गए देवालय सब, 
मधुशालाएँ खुलती है ।
बेबस जनता आज सभी तो, 
राजनीति में तुलती है।
देव आ रहे हैं जग मैं अब ,बन करके संसारी हैं।
मुँह ढक कर के सब निकले हैं,अब कैसी यह लाचारी है। 

सुख दुख का साथी बन करके ,
मदद सभी की कर देना।
भला करोगे भला मिलेगा,
आप कभी मत कुछ लेना।
भूखों को भोजन दे देना, ये ही बस हितकारी है।
मुँह ढक कर के सब निकले हैं, अब कैसी यह लाचारी है। 

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