Saturday, 2 May 2020

*दोहे* ,*प्यासा पंछी* " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


*प्यासा पंछी*
beautiful feathers of flying birds

प्यासा पंछी जानकर, दिया उन्होंने नीर।
लेकिन समझ सका नहीं, कोई उनकी पीर।।1।।

पेड़ों को तो काट कर, क्या मिलता इंसान। 
नीड़ बनाए हम किधर, हे जग के भगवान।।2।।

गौरैया तो आजकल, रहती है बस मौन।
कोयल की कूहुक अभी, सुनता है अब कौन।।3।।

तुम सब तो हो धाम में, करते हो आराम।
तिनके भी मिलते नहीं, बढ़ा हमारा काम।।4।।

बारिश की ही बूँद से, होता नव उद्धार।
लेकिन गर्मी ने किया, धरती को लाचार।।5।।

सफल सार्थक हो सदा,जो भी करो प्रयास। 
इंसानों से ही सदा, पक्षी को है आस।।6।।

समय अभी भी है मनुज, नहीं बिताओ व्यर्थ।

जीवन तो अनमोल है, समझो इसका अर्थ।।7।। 

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