Thursday, 7 May 2020

राधा तिवारी "राधेगोपाल " दोहे , ( शालिग्राम)



शालिग्राम

कृष्ण सुदामा की तरह, मिले नहीं अब मीत।
 बिन मतलब के अब नहीं ,करता कोई प्रीत।।

साधू संतों का किया, जिसने भी अपमान। 
फिर उसको कैसे मिले, इस जग में सम्मान।।

अश्रु धार बहती रहे, देख पराई पीर,
पर राधे होना नहीं, जग में कभी अधीर।।

पत्थर के भगवान, को पूज रहे हैं लोग।  
भूखे का करते नहीं, पर जग में सहयोग।।

पुण्य कमाने के लिए, गंग नहाते लोग।
स्वच्छ नदी को कीजिए, करके तुम सहयोग।।

शालिग्राम भगवान को,दूध चढ़ाते लोग।
निर्धन को तो दूध का, करें नहीं सहयोग।।

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