Friday, 27 July 2018

बाल कविता "गिलहरी "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


गिलहरी 
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एक गिलहरी कितनी प्यारी
 फर जैसी है पूछ तुम्हारी
 जब भी तुम बैठा करती हो
 पूछ से प्रश्न चिन्ह धरा करती हो
 काला सा एक कोट पहन कर
 जाती हो तुम हरदम तन कर
 बैठ कर तुम तो दाने खाती
 बच्चों को तुम बहुत सताती
 जब भी तुम्हें पकड़ने आते
 पेड़ में चढ़ तुम  उन्हें छकाते
 इधर-उधर उनको दौड़ाती

हाथ किसी के कभी ना आती

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