Wednesday, 4 July 2018

दोहे " वसुंधरा की शान " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

वसुंधरा की शान
प्राणवायु देते हमें, जीवन का वरदानll

सूरज ने दिखला दिया, गर्माहट का जोशl
देख गर्म वातावरण, उड़ जाते हैं होशll

तिनका तिनका जोड़कर, पंछी बुनते नीड़l
गर्मी उतनी बढ़ रही, जितनी बढ़ती भीड़ll

ऊंचे ऊंचे शैल  हैं, इस धरती की शानl
जड़ी बूटी देते हमें, पर्वत है भगवानll

नील गगन में उड़ रहा, खग होकर बेचैन।
रहता सुख की खोज में, वह पंछी दिन रैन।।


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