Thursday, 26 July 2018

दोहे " गुलाब अनेकों रंग के" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

गुलाब अनेकों रंग के
इंसा फूलों को करें, हंसकर सदा कबूल।
 पर उखाड़ कर फेंकते, पथ से सारे शूल ।।


कांटो में से चुन लिये, माली ने सब फूल। 

कांटे हक से बोलते, दुक्खों को तू भूल।।


 गुलाब अनेकों रंग के ,उगते यहां जनाब ।

रक्तवर्ण का देखते ,प्रेमी हरदम ख्वाब ।।


तितली आकर बाग में, गई फूल के पास ।

मधु फूल से चूस कर, सदा बुझाती प्यास।।

खिले फूल को देखकर ,हमको मिले सुकून।

 तीन चीज नुकसान दे ,मैदा चीनी नून।।

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