प्यार और सम्मान
कभी रूप की धूप है सौपीं
कभी कदम कदम पर घास
कभी मनोबल ऊँचा करके
जगाई कविता लिखने की आस
कोमल वाणी है आपकी
हँसता गाता बचपन
सुख का सूरज सदा ही चमके
उम्र भले हो पचपन
प्यार और सम्मान आपका
कभी भूल नहीं पायेंगे
आपके सानिध्य में रह कर
मधुर सुमन महक जायेंगे
सूरज दिन को लेकर आता
मन मेरा भी हँसता गाता
मयंक चमकता रातों में
तब रस आता है बातों में
मन है कितना विपुल विशाल
कहती है " राधे गोपाल "
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