वादे
जो वादे उन्होंने कभी किये थे चांदनी रात में हमसे l
उन वादों को तोड़ कर वे जा रहे हैं दूर आज हमसे ll
नदिया किनारे शाम ढले रोज़ मिलते थे हमसे l
तुम तो सिर्फ मेरी हो , सदा यही कहते थे हमसे ll
न जाने क्यों अब कुछ खफा रहने लगे हैं हमसे l
कि अब तो सदा दूर ही रहा करते हैं हमसे ll
वे तो प्यार करते थे हमे अपनी दिलों जान से l
आज छोड़ गए ऐसे ज्यों छोड़ा हो तीर कमान से ll
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