Tuesday, 3 July 2018

वादे ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

वादे 
जो वादे  उन्होंने कभी किये थे चांदनी रात में हमसे l 
उन वादों को तोड़ कर वे जा रहे हैं  दूर आज हमसे ll 

नदिया किनारे शाम ढले रोज़ मिलते थे हमसे  l 
तुम तो सिर्फ मेरी हो , सदा यही कहते थे हमसे ll 

न जाने क्यों अब कुछ खफा  रहने लगे हैं हमसे  l 
कि अब तो सदा दूर ही रहा करते हैं हमसे ll 

वे तो प्यार करते थे हमे अपनी दिलों जान से l 
आज छोड़ गए ऐसे  ज्यों छोड़ा हो तीर कमान से ll 


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