कर दो कान्हा भव से पार
तुम कान्हा हो मैं हूं राधा।
मेरा जीवन तुम बिन आधा।।
दूर अगर चाहोगे जाना।
फिर मुश्किल है हम को पाना ।।
बंधी तुम्हीं से जीवन डोर ।
खींच रही जो तेरी ओर।।
तुमसे जीवन में उजियारा ।
चहूँ ओर तुम बिन अंधियारा ।।
तुमसे मेरी जीवन नैया।
तुम बन बैठे हो खेवैया ।।
तुम राधा के तारणहार ।
कर दो कान्हा भव से पार।।
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