Sunday, 1 July 2018

दोहे "पूजा घर" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

पूजा घर
पूजा घर तो है यहां, सारे एक समान l 
 लेकिन ईश्वर को यहाँ, बांट रहा नादान ll 

 अद्भुत होती है सदा, जग की देखो रीत l 
 अपना तो कोई नहीं, लेकिन सबसे प्रीत ll

 जब जनमें इंसान सब, दिखते एक समान l 
 कुछ में तो शैतान है, कुछ में है इंसान ll 

 सुख में भुला न दीजिये, निज मन से भगवान l 
 दुख में करना चाहिए, ईश्वर का गुणगान ll 

सभी जगह रहते स्वयं, राम और रहमान l 
सबके दिल में है बसे, देखो परम निधान ll 

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