पूजा घर
पूजा घर तो है यहां, सारे एक समान l
लेकिन ईश्वर को यहाँ, बांट रहा नादान ll
अद्भुत होती है सदा, जग की देखो रीत l
अपना तो कोई नहीं, लेकिन सबसे प्रीत ll
जब जनमें इंसान सब, दिखते एक समान l
कुछ में तो शैतान है, कुछ में है इंसान ll
सुख में भुला न दीजिये, निज मन से भगवान l
दुख में करना चाहिए, ईश्वर का गुणगान ll
सभी जगह रहते स्वयं, राम और रहमान l
सबके दिल में है बसे, देखो परम निधान ll
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