बाल कविता "कागज की नाव" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
कागज की नाव
बारिश की रुत बड़ी सुहानी आसमान से बरसा पानी मेंढक टर्र टर्र टर्र चिल्लाए अपना अभिनव राग सुनाएं भरे हुए हैं ताल-तलैया मेंढक करते ता ता थैया भरे हुए हैं गड्डे नाली चारों ओर बिछी हरियाली कागज की एक नाव बनाओ गड्ढों में उसको तैराओ
No comments:
Post a Comment