अनमोल दोहे सूर्य देव भगवान को, चढ़ा रहे सब नीर । राधे कहती है प्रभु, हरो सभी की पीर।। गए पिता संसार से, सका न कोई रोक इतने सारे लोग थे ,सबको ही था शो क ।। कुरुक्षेत्र में दिख रही, देखो कितनी लाश। कोई तीरों से मरा, कहीं जकड़ता पाश ।। दिनकर फिर आकाश में, लेकर आया भोर। खुशबू आती फूल ससे ,है बच्चों का शोर।। तितली आई बाग में, करने को रसपान। कोयल का सुन लीजिए, आप मधुर सा गान।। नई शाख आने लगी, खिल जाएंगे फूल । धरती हमको दे रही ,सभी समय अनुकूल ।। बैठ धाम में आप भी , बचा लीजिए जान । नवजीवन सबको मिले, मेरा कहना मान।। होकर के गंभीर सब , रह लेना निज धाम । जान बचाने को करो आप सभी आराम।। बैठी तितली फूल पर, आया भँवरा पास। फूल उन्हें लगते रहे, हरदम जग में खास।। |
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