दोहे
भगवान परशुराम
परशुराम भगवान की, होगी जय जय कार।
करने को वे आ रहे, इस जग का उद्धार।।1।।
जब जब धरती पर बढ़ा, क्रोध लोभ व्यवहार।
मानव मानव पर करे, जब भी अत्याचार।।2।।
जब-जब अत्याचार ने, बढ़ा दिए हैं पैर।
तब तब जीवों में हुआ, आपस में ही बैर।।3।।
परशुराम भगवान ने, किया जगत उद्धार।
फरसा लेकर आ रहे, विष्णु के अवतार।।4।।
सिखा रहे हैं जीव को, जीवन का वे सार।
जीना है कैसे मनुज, कैसे होना पार।।5।।
|
No comments:
Post a Comment